लोकसभा में एक देश एक चुनाव बिल हुआ पेश

नई दिल्ली एजेंसी।। भारत में लगता है चुनावों की पूरी प्रक्रिया में जल्द बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। मंगलवार 17 दिसंबर को लोकसभा में एक देश एक चुनाव का अहम बिल सरकार ने पेश किया लेकिन बिल पेश होने को लेकर विवाद के बाद मतों का डिवीजन किया गया। इस दौरान बिल पेश करने के पक्ष में कुल 200 से अधिक सांसदों ने अपना मत दिया जबकि इसके विपक्ष में लगभग 150 सांसद खड़े नजर आए। बता दें कि इस बिल के लिए कुल 369 सांसदों ने अपना मत दर्ज कराया। इस बिल पर एक रिपोर्ट बनाने के लिए 2 सितंबर 2023 को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया था। इस कमेटी ने 14 मार्च 2024 को अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपी थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि एक साथ चुनाव कराने से चुनावी प्रक्रिया में बदलाव आ सकता है।
कानून मंत्री ने पेश किया बिल—
केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने सदन में वन नेशन वन इलेक्शन बिल को पेश किया। इस बिल को पेश करने के बाद मेघवाल ने स्पीकर से अनुरोध किया कि बिल को विचार-विमर्श के लिए संसद की संयुक्त समिति के पास पहले भेजा जाए। बिल सामने आने के बाद कांग्रेस, टीएमसी, समाजवादी पार्टी, शिवसेना उद्धव गुट समेत कई विपक्षी दलों ने जमकर विरोध किया।
क्या है वन नेशन वन इलेक्शन का मतलब—
लोकसभा में पेश हुआ वन नेशन वन इलेक्शन बिल बहुत अहम है। इस बिल का मतलब है कि पूरे देश में एक साथ चुनाव होंगे। फिलहाल हमारे देश में अलग-अलग राज्यों के विधानसभा चुनाव, देश का लोकसभा चुनाव, नगरपालिकाओं और पंचायत चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं। वर्तमान में सरकार चाहती है कि देश में होने वाले सभी तरह के चुनाव एक साथ ही हो।।