3,000 करोड़ के ई-टेंडर घोटाले के खात्मे को नहीं मिली अदालत की मंजूरी
ई-टेंडरिंग घोटाले की फिर से होगी जांच, विशेष न्यायाधीश ने दिए जांच के आदेश

ऑपरेशन टाईम्स भोपाल।। मप्र के बहुचर्चित ई-टेंडरिंग घोटाले की फिर से जांच होगी। दरअसल 3000 करोड़ रूपए के ई-टेंडर घोटाले में आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ द्वारा अदालत में खात्मा पेश किया था। अदालत में इस मामले की सुनवाई राम प्रताप मिश्र विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की अदालत में हुई। न्यायालय द्वारा सुनवाई के पश्चात ई-टेंडर घोटाले के खात्मा आवेदन को 24 दिसंबर 2024 को निरस्त कर दिया है। अदालत ने इस मामले की पुन- जांच करने के निर्देश राज्य आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ भोपाल को दिए हैं। गौरतलब है कि मन में शासकीय ठेकों को ई टेंडरिंग के माध्यम से भ्रष्टाचार रोकने की पहल ही भ्रष्टाचार का शिकार हो गई। टेंडर में शामिल रहीं कंपनियों ने 13 अन्य राज्यों में भी इसी तरह वहां ई-निविदा सरकारी ठेके हथियाएं हैं। आरोपियों से पूछताछ में मप्र के आधा दर्जन आईएएस अधिकारी और उनसे जुड़े रहे लगभग एक दर्जन राज्य प्रशासनिक सेवा और निजी स्टाफ में शामिल रहे कर्मचारियों की संलिप्तता सामने आई थी। अदालत के फैसले के बाद ईओडब्ल्यू दोबारा जांच करेगा। लोगों को उम्मीद है कि अधिकारियों, कंपनियों, ठेकेदारों और नेताओं की मिलीभगत से यह जो महाघोटाला हुआ था उसकी परतें खुल जाएंगी।
अदालत में खात्मा आवेदन—
इस मामले में राज्य आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ भोपाल द्वारा विशेष न्यायालय में प्रतिवेदन खात्मा क्रमांक 7/23 प्रस्तुत किया था। अदालत ने इसे अस्वीकार करते हुए, पांच बिंदुओं में पुन- जांच करने के आदेश आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ को दिए हैं।
घोटाले को दबाने के लिए हर स्तर पर प्रयास—
ई टेंडर घोटाले में बड़े-बड़े राजनेता राज्य के वरिष्ठ अधिकारी कई बड़े ठेकेदार शामिल थे। हजारों करोड़ों रुपए के इस घोटाले को दबाने के लिए हर स्तर पर प्रयास किए गए। जांच में तरह-तरह की बाधा डाली गई है। विशेष अदालत ने इस सारे मामले में सूक्ष्म अध्ययन करने के पश्चात पुन जांच के आदेश दिए हैं। जिसके कारण ई टेंडर के आरोपियों में एक बार फिर तलवार लटकने लगी है। ई टेंडरिंग घोटाले की चौंकाने वाली परतें सामने आई थीं।