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उपराष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर जताई नाराजगी

कहा- आर्टिकल 142 न्यूक्लियर मिसाइल बन गया

नई दिल्ली।। भारत में राष्ट्रपति का पद बहुत ऊंचा है। अदालतें राष्ट्रपति को आदेश नहीं दे सकतीं। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट के एक हालिया आदेश पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि भारत में ऐसे लोकतंत्र की कल्पना नहीं की थी। जहां न्यायाधीश कानून बनाएंगे और कार्यकारी जिम्मेदारी निभाएंगे और सुपर संसद के रूप में काम करेंगे। उपराष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का जिक्र किया। जिसमें राष्ट्रपति को तीन महीने के भीतर विधेयक पर फैसला लेने की समय सीमा तय की गई है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि ऐसा पहली बार हुआ है। जब राष्ट्रपति को तय समय में फैसला लेने को कहा जा रहा है। अनुच्छेद 142 लोकतांत्रिक ताकतों के खिलाफ एक परमाणु मिसाइल बन गया है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को वीटो पावर नहीं दिया जाना चाहिए। अगर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को सारी शक्ति दे देंगे तो ये खतरनाक साबित हो सकता है। लोगों का भरोसा सुप्रीम कोर्ट से उठ रहा है। सुप्रीम कोर्ट ये कैसे तय कर सकता है कि भारत के राष्ट्रपति को क्या करना चाहिए। राष्ट्रपति तक निर्णय के ख़िलाफ़ जजमेंट दिया जा रहा है। पर एक जज के घर पर करोड़ो का कैश मिलने के बावजूद कोई कार्यवाही नहीं।।

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