
ऑपरेशन टाईम्स सिंगरौली।। मानव दुर्व्यापार विरोधी दिवस के अवसर पर कनपुरा कुटुंबकम संस्थान की पहल पर सिंगरौली जिले में हुए एक कार्यक्रम में बाल संरक्षण और बाल अधिकारों के क्षेत्र से जुड़े सभी प्रमुख हितधारक एक साथ आए। इस कार्यक्रम में बाल कल्याण समिति, महिला एवं बाल विकास विभाग, विशेष किशोर पुलिस इकाई, श्रम विभाग,और स्वयंसेवी संस्था के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया और एक सुर से स्वीकार किया कि बाल दुर्व्यापार यानी बच्चों की ट्रैफिकिंग से निपटने के लिए सभी एजेंसियों व विभागों को साथ मिलकर कार्रवाई करने की सख्त जरूरत है ताकि ट्रैफिकिंग गिरोहों में कानून का भय पैदा हो सके। कनपुरा कुटुंबकम् संस्थान, देश में बाल अधिकारों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए 250 से भी अधिक नागरिक समाज संगठनों के देश के सबसे बड़े नेटवर्क जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी) का सहयोगी संगठन है और सिंगरौली में बाल अधिकारों की सुरक्षा के लिए काम कर रहा है। जेआरसी बाल श्रम, बच्चों की ट्रैफिकिंग, बाल विवाह और बाल यौन शोषण के शिकार बच्चों की सुरक्षा और न्याय सुनिश्चित करने के लिए निरंतर कार्य कर रहा है। बच्चों की ट्रैफिकिंग से निपटने में कानून प्रवर्तन एजेंसियों के सामने आने वाली वाली चुनौतियों पर चर्चा करते हुए कार्यक्रम में मौजूद अधिकारियों ने सामूहिक रूप से यह माना कि मौजूदा कानूनों के प्रति जागरूकता बढ़ाना, संवेदनशील तबकों को ट्रैफिकिंग गिरोहों और उनके कामकाज के तरीकों के बारे में संवेदनशील बनाना और सभी एजेंसियों के बीच समन्वय को मजबूत करना तत्काल जरूरी है, ताकि मुक्त कराए गए बच्चों के लिए तय समयसीमा में न्याय और पुनर्वास सुनिश्चित किया जा सके। संस्था ने पिछले वर्ष के दौरान दो सौ बच्चों को बाल श्रम, ट्रैफिकिंग और बाल विवाह से बचाया है। संगठन ने यह रेखांकित किया कि बच्चों की ट्रैफिकिंग केवल बाल मजदूरी या मुनाफे के लिए यौन शोषण तक ही सीमित नहीं है। बहुत से बच्चे, खास तौर से लड़कियां, जबरन विवाह के लिए भी ट्रैफिकिंग का शिकार बनती हैं। यह एक एक ऐसी समस्या है जिसके बारे में कम ही चर्चा की जाती है और रोकथाम के उपायों पर भी ज्यादा बात नहीं होती। बताते चलें कि जुलाई में संस्था ने रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के साथ मिलकर बच्चों की ट्रैफिकिंग के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए रेलवे स्टेशनों पर अभियान चलाया। चूंकि ट्रैफिकिंग गिरोह अक्सर बच्चों को दूसरे राज्य ले जाने के लिए रेल मार्ग का उपयोग करते हैं, इसलिए इस अभियान का फोकस यात्रियों, रेल कर्मियों, विक्रेताओं, दुकानदारों और कुलियों को बाल तस्करी के संकेतों की पहचान करने और संदिग्ध मामलों की सुरक्षित रूप से रिपोर्ट करने के लिए संवेदनशील बनाना था। बच्चों की सुरक्षा के लिए सभी हितधारकों के बीच तालमेल व समन्वय की अहमियत और जिला प्रशासन के सहयोग को रेखांकित करते हुए कनपुरा कुटुंबकम संस्थान के निदेशक योगेंद्र सिंह, ने कहा “अगर बच्चों की ट्रैफिकिंग रोकना है तो कानूनी कार्रवाई जरूरी है। बाल दुर्व्यापारियों को जब शीघ्र और सख्त सजा मिलेगी, तभी हम उनमें कानून का भय पैदा कर पाएंगे और यह भय ट्रैफिकिंग की रोकथाम के लिए सबसे असरदार उपाय साबित होगा। रोकथाम अभियानों की सफलता के लिए जिले में मजबूत प्रशासनिक समन्वय और समयबद्ध कानूनी कार्रवाई आवश्यक है। इस तरह से काम कर हम न सिर्फ बच्चों की सुरक्षा बल्कि उन ट्रैफिकिंग गिरोहों के नेटवर्क का भी खात्मा कर सकेंगे जो बच्चों का शिकार करते हैं। आज यह कार्यक्रम सिंगरौली जिले में पुराने जिला अस्पताल में आयोजित किया गया कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष डॉ आर डी पांडेय जी रहे कार्यक्रम में उपस्थित सभी जनों ने यह सुनिश्चित किया की सिंगरौली जिले में एक भी बालक की ट्रैफिकिंग ना हो एवं हर बालक को मुख्य धारा से जोड़ा जाए कार्यक्रम में बाल संरक्षण अधिकारी नीरज शर्मा,विशेष किशोर पुलिस से प्रभारी अशोक सिंह तोमर,बाल कल्याण समिति के सदस्य देवधर शर्मा,श्रीमती पूनम मिश्रा, श्रीमती पूनम त्रिपाठी, पाक्सो के सपोर्ट पर्सन विनोद सिंह,महिला बाल विकास विभाग, श्रम विभाग, एवं विशेष किशोर पुलिस इकाई, जीआरपी के साथ संस्था की कोऑर्डिनेटर वंदना विश्वकर्मा, अजीत सिंह, अवनीश द्विवेदी,शबा बनो,सपना सिंह,फिट संस्था (बाल गृह)सुसंस्कार सोशल डब्लपमेंट से गजमोचन सिंह, मंजू सिंह, शिरीन,अर्चना पाण्डेय, सरोज सोनमानी, अंशू शुक्ला, सीमा सिंह उपस्थिति रही।।