आखिर कब होगी लोकायुक्त मामले में नगर निगम के दोषी 3 अधिकारियों पर एफआईआर
मामला आठ लाख पैंतीस हजार गबन का

ऑपरेशन टाईम्स सिंगरौली।। नगर पालिका निगम की एमआईसी ने तत्कालीन कार्यपालन यंत्री विद्युत सहायक यंत्री व उपयंत्री को नगर निगम की सेवा से पृथक करने राज्य सरकार की ओर परामर्श के लिए प्रस्ताव भेजने के निर्देशित किया है। नगर निगम के उक्त अधिकारीयों पर आरोप है कि माजन मोड़ से इंदिरा चौक तक डामरीकरण का कार्य घटिया होने पर जांच उपरांत आरोप सही मिलने पर 8 लाख 35 हजार रुपए की अनियमितता पाई गई थी। वही मेसर्स आस्था कंट्रक्शन कंपनी के विरुद्ध गंभीर आरोप भी प्रमाणित पाया गया। नगर पालिका निगम में मेयर इन काउंसिल कि साधारण बैठक बीते गुरुवार को में रानी अग्रवाल की अध्यक्षता में संपन्न हुई थी। बैठक में एमआईसी सदस्य खुर्शीद आलम अर्चना विश्वकर्मा, अंजना शाह, शिव कुमारी, श्यामलाल वर्मा, रीता देवी, रुक्मन प्रजापति, रामगोपाल पाल के साथ-साथ आयुक्त डीके शर्मा एवं अन्य विभाग के अधिकारी मौजूद थे। बैठक में पूर्व बैठक की कार्यवाही की पुष्टि करने के उपरांत मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल भोपाल द्वारा स्वच्छता निरीक्षक सहायक सामुदायिक विकास संगठन एवं सहायक ग्रेड 3 के पद पर घोषित परिणामों के अंतर्गत मेरिट सूची के आधार पर चयन करने का निर्णय लिया गया जहां। विशाल सोनी स्वच्छता निरीक्षक विवेक अवस्थी सहायक सामुदायिक विकास संगठन एवं सुरेंद्र कुमार बलिया सहायक ग्रेड 3 के पद पर नियुक्त किए जाने की स्वीकृति प्रदान की गई है। वहीं बैठक में माजन मोड़ से इंदिरा चौक तक डामरीकरण घटिया कार्य के संबंध में विभागीय जांच एवं एमआईसी की बैठक दिनांक 16 फरवरी 2024 के आधार पर पारित संकल्प के विरुद्ध उच्च न्यायालय में कार्यपालन यंत्री व्हीपी उपाध्याय, सहायक यंत्री संतोष पाण्डेय एवं उपयंत्री पीके सिंह उच्च न्यायालय पहुंचे थे। जहां फिर से मामले की जांच कराई गई। और आरोप की पुष्टि हुई। उक्त अधिकारियों के साथ संविदाकार पर ही 8 लाख 35 हजार की अनियमितता पाई गई। इस दौरान उक्त नगर निगम के अधिकारियों को नोटिस देकर जवाब भी मांगा गया। नोटिस का जवाब मेसर्स आस्था कंट्रक्शन कंपनी के द्वारा प्रस्तुत नहीं किया गया। आगे बताया गया कि विभागीय जांच पुनः कराने के निर्देश दिए गए। जिससे राजस्व अधिकारी आरपी वैश्य व सहायक ग्रेड 2 राकेश शर्मा को प्रस्तुतकर्ता जांच अधिकारी नियुक्त किया गया था।
दोबारा जांच में आरोप हुआ सिद्ध, नहीं हुई
एफआईआर—
नगर पालिका निगम सिंगरौली में एक नहीं कई भ्रष्टाचार है। जिसका उजागर हो तो कई अधिकारी पर कानूनी कार्रवाई होना तय है। उदाहरण के लिए 8 लाख 35 हजार गबन का मामला सभी के समक्ष है। बीते 16 फरवरी को एमआईसी की बैठक में माजन मोड़ से इंद्रा चौक तक डामरीकरण घटिया कार्य में निगम के तीन दोषी अधिकारियों व सविंदाकार पर आरोप सिद्ध हुआ था जहां महापौर रानी अग्रवाल ने तीनों अधिकारियों पर रिकवरी व सेवा से पृथक का निर्देश राज्य सरकार को भेजने के निर्देश दिए था। लेकिन निगम के भ्रष्ट अधिकारी उच्च न्यायालय की शरण में जाकर दोबारा जांच के लिए स्टे लेकर आए जहां दोबारा जांच हुई तो पुनः तीन अधिकारीयों व सविंदाकार पर आरोप सिद्ध हुआ। ऐसे में शासकीय मद में गड़बड़ी करने के आरोप में महापौर को निगम के अधिकारियों व सविंदाकार पर एफआईआर करना चाहिए। देखना होगा कि महापौर उक्त मामले में दोषी अधिकारियों पर एफआईआर कराती या नहीं…?
जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्यवाही—
दोबारा हुई जांच में जांच अधिकारी ने अपना जांच प्रतिवेदन एक बार फिर प्रस्तुत किया। जिसमें उक्त आरोपों की पुष्टि होने पर नगर निगम के तीन अधिकारियों को पद से पृथक करने का निर्णय लेते हुए तीन अधिकारियों एवं ठेकेदार से 2 लाख 8000 चार हिस्सों में बाटकर वसूली करने का भी सर्व सहमति से निर्णय लिया गया। इधर उक्त अधिकारियों को पद से पृथक करने संबंधित राज्य सरकार से परामर्श के लिए पत्र आयुक्त के द्वारा भेजा जाएगा। फिलहाल एमआईसी के उक्त कार्रवाई से नगर निगम में हड़कंप मचा हुआ है। देखना होगा को आयुक्त के द्वारा राज्य शासन को पत्र भेजने में कितना माह का समय लगाते है।