गोंदवाली साइडिंग में जब्त कोयले के स्वामित्व को लेकर एक भी कारोबारी नहीं आया सामने
कोयले में मिलावट का खेल, अब तक मिलियन टन कोयले का गबन

ऑपरेशन टाईम्स सिंगरौली।। बरगवां रेलवे स्टेशन से लगे गोदवाली साइडिंग में महीनों से बिना अनुमति के रखें एक रेक कोयला को रेलवे विजिलेंस टीम को जब्त किए हुए करीब 15 दिन हो गए हैं लेकिन अभी तक कोयले की स्वामित्व को लेकर एक भी कारोबारी सामने नहीं आया है। हालांकि विजिलेंस टीम लगातार कोयला कारोबारी से पूछताछ और जांच कर रही है लेकिन नतीजा सिफर है। ऐसे में अब चर्चा हो रही है कि इस पूरे मामले में अधिकारी अब माफिया को बचाने में लग गए हैं। दरअसल रेलवे साइडिंग पर कोयले में मिलावट का खेल कोई नया नहीं है। यहां दशकों से कोयला में मिलावट का खेल चला आ रहा है। साल 2018 में एनसीएल की कृष्णशिला रेलवे साइडिंग पर एनसीएल के पूर्व सीएमडी ने भारी मात्रा में चारकोल जप्त किया था। इसके बाद एक्शन में आए रेलवे, पुलिस, एनसीएल व प्रदूषण नियंत्रण विभाग ने इसकी जानकारी खंगालनी शुरू की। पूर्व सीएमडी भोला सिंह ने भी भंडारण का मौका मुआयना कर संबंधितों से जानकारी ली। सूत्रों की माने तो उसे समय जांच टीम को जानकारी लगी की चार सालों से कोयले में मिलावट का खेल चल रहा था। सूत्रों की माने तो गोदवाली साइडिंग में पकड़े गए एक रैक कोयले में भी मिलावट किया जा चुका है। यदि इसकी सही जांच हो तो कृष्ण शिला जैसी कोयले में मिलावट के खेल को उजागर किया जा सकता है। चर्चा है कि रेलवे के कई अधिकारी अब इस पूरे मामले को नई दिशा दे रहे हैं ताकि बड़े कोयला माफिया को बचाया जा सके। सूत्र तो यहां तक कह रहे हैं कि यदि गोदवाली साइडिंग में मिले एक रेक कोयले की सही जांच हो तो कई कोयला माफिया और हाई प्रोफाइल नामों का खुलासा होगा।
बड़े-बड़े कारोबारियों के नामों का उजागर होना तय—
सूत्रों की माने तो गोंदवाली साइडिंग में पकड़े गए एक रैक कोयले में भारी मात्रा में मिलावट किया गया है। यदि वहां एकत्रित कोयले के सैंपल इकट्ठा कर उसकी जांच की जाए तो मिलावट का खेल का बड़ा खुलासा होगा। एक रैक कोयला मिलने के बाद प्रारंभ हुई जांच में बड़े-बड़े कारोबारियों के नामों का उजागर होना तय है। लेकिन चर्चा है कि दिल्ली से आए एक फोन के बाद अब जांच की दिशा बदल गई है।
कोयले के स्वामित्व के लिए कारोबारी नहीं आ रहे सामने—
रेलवे विजिलेंस टीम ने एक रेक कोयला आरपीएफ को सौंप कर जांच करने की बात कह रही है। लेकिन कोयला जप्त हुए करीब 15 दिन होने चले हैं लेकिन अभी तक कोयले के स्वामित्व के लिए एक भी कारोबारी सामने नहीं आया है। चर्चा है कि कई सालों से कोयले का कारोबार कर व्यापारियों ने मोटी रकम तो कमाई है लेकिन इस जांच और सीज किए गए कोयले ने सभी के पसीने छुड़ा दिए हैं। अब अधिकारियों के दफ्तरों में एक भी कारोबारी या उनके गुर्गे पहुंच कर इस कोयले का स्वामित्व लेने लेने से से भी कतरा रहे हैं।