498 FIR-संपूर्ण भारत में रद्द होंगे झूठे दहेज के केस, सुप्रीम कोर्ट का आया ऐतिहासिक फैसला

नई दिल्ली।।अगर आप अथवा आपका कोई दोस्त या रिश्तेदार झूठे दहेज केस से परेशान हैं तो सुप्रीम कोर्ट का यह ऐतिहासिक जजमेंट आपके लिए एक बड़ी राहत साबित हो सकता है क्योंकि अगर आपका जो दहेज केस है। इस गाइडलाइन के अंतर्गत आता है। तो उसे रद्द कर दिया जाएगा। दहेज एक्ट में महिलाओं के द्वारा अपने ससुराल वालों तथा पति पर किए जा रहे झूठे केस की बढ़ती संख्या के कारण माननीय कलकत्ता हाईकोर्ट ने भी चिंता ज़ाहिर की थी और यह कहा था कि “झूठे दहेज केस कानूनी आतंकवाद के समान है” आपको बताते चलें कि दहेज केस में महिलाएं पुरुषों को इस तरीके से फंसा देती हैं उनका जीवन नरक हो जाता है बैंगलोर के सॉफ्टवेर इंजीनियर अतुल सुभाष के आत्महत्या कांड ने पूरे देश को झकझोर के रख दिया यहाँ पर हम आपको बताने जा रहे हैं कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने एक ऐसा लैंडमार्क जजमेंट दिया है। जिससे कि अगर आपके ऊपर या किसी भी नागरिक के ऊपर झूठे दहेज के केस चल रहे हैं। उसे खारिज कर दिया जाएगा अगर आपके साथ भी यह समस्या है तो आप अपने वकील से डिस्चार्ज ऐप्लिकेशन लगाने को कह सकते हैं। हम आपको विस्तार से बताते हैं कि कैसे झूठे दहेज केस से आपको मुक्ति मिल सकती है।
स्थिति (1): अगर पत्नी का अवैध संबंध किसी और के साथ हों—
माननीय सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा 10 दिसंबर 2024 को यह निर्णय दिया गया है जिसने बताया गया है कि अगर पत्नी की अवैध संबंध पहले से किसी और के साथ हो और इस आधार पर पति के द्वारा न्यायालय में तलाक के लिए आवेदन दिया गया है और उसके बाद पत्नी के द्वारा पति और उसके घरवालों के खिलाफ़ दहेज का मुकदमा लगाया जाता है तो न्यायालय को इस मुकदमे की विस्तृत जांच करवानी चाहिए और अगर यह पाया जाता है कि दहेज का केस लगाने से पहले पत्नी अवैध संबंध में थी तो दहेज के केस को खारिज कर दिया जाना चाहिए क्योंकि अवैध संबंध में पत्नी का होना पति के प्रति के ऊपर पत्नी के द्वारा की जाने वाली क्रूरता है ना कि पति के द्वारा पत्नी के ऊपर की जाने वाली क्रूरता तो अगर ऐसी ही स्थिति आपके साथ भी आती है तो आप अपने विद्वान अधिवक्ता से डिस्चार्ज ऐप्लिकेशन लगवा सकते हैं इसका प्रावधान भारतीय न्याय संहिता की धारा 262 में किया गया है।
स्थिति (2): अगर पत्नी बिना बताए घर से चली गई है तो—
माननीय सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा जो दूसरी शर्त रखी गई है झूठे दहेज केस को खारिज करने की वाह यह है कि अगर पत्नी बिना बताए अपने घर से चली जाती है तो उसे दहेज का केस करने का कोई भी अधिकार नहीं है क्योंकि बिना बताए घर से जाना पति के विरुद्ध पत्नी के द्वारा की जाने वाली क्रूरता है आपको यह भी बताते चलें कि अगर पत्नी बिना बताए अपने घर से चली जाती है और पति थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाता है और पत्नी किसी दूसरे व्यक्ति के साथ पाई जाती है और समझौते के बाद वह पति के साथ रहने को आ जाती है लेकिन फिर उसके बाद वह पति के ऊपर दहेज का केस लगा देती है तो ऐसी स्थिति में दहेज के केस का विचारण नहीं है माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने निचली अदालतों को यह निर्देश दिया है कि ऐसे केसेस की उचित जांच करवाकर इन्हें खारिज किया जाना चाहिए।
स्थिति (3): घटनास्थल पर अनुपस्थित रिश्तेदारों के नाम—
अगर पत्नी के द्वारा दहेज केस करते समय ऐसे रिश्तेदारों का नाम डाल दिया जाता है जो कि उसे घटना स्थल से यानी उसके ससुराल से कई किलोमीटर दूर रहते हों और पति के रक्त संबंध से संबंधित नहीं हों तब दहेज के केस को खारिज कर दिया ना चाहिए चाहिए यह गाइडलाइन सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दी गई है और इससे संबंध में लैंडमार्क जजमेंट भी दिए गए हैं। आपको यह बता दें कि जैसे पत्नी ने अपने पति के विरुद्ध दहेज केस किया और तकरीबन 450 किलोमीटर दूर स्थित उसकी बहन को भी उस दहेज एक्ट में फंसा दिया तो ऐसी स्थिति में बहन को दोषमुक्त कर दिया जाएगा इस जजमेंट के आधार पर दहेज केस में किसी भी व्यक्ति का नाम डालने के लिए उस व्यक्ति का अपराध स्थल पर होना अनिवार्य है अन्यथा की स्थिति में उसका नाम नहीं डाला जा सकता।
स्थिति (4) : पति के द्वारा तलाक केस दायर करने के बाद दहेज केस—
अगर पति अपनी पत्नी से तलाक लेने के लिए तलाक की अर्जी कोर्ट में दाखिल करता है और उसके बाद पत्नी पति के ऊपर दहेज का मुकदमा लगा देती है तो ऐसी स्थिति में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा सख्त निर्देश दिए गए हैं कि पत्नी के द्वारा दर्ज कराए गए दहेज के मुकदमे की विधिवत जांच करवाया दी जानी चाहिए और जांच में अगर कोई विशिष्ट तथ्य नहीं पाए जाते हैं तो दहेज केस को पूर्णतः खारिज कर दिया जाना चाहिए।।