लखनऊ में शिक्षकों के वेतन रोकने का आदेश वापस, महराजगंज में नौकरी कर रहा फर्जी शिक्षक बर्खास्त

लखनऊ/महराजगंज।। राजधानी लखनऊ में शिक्षकों और कर्मचारियों के वेतन पर लगी रोक हटा ली गई है। बेसिक शिक्षा अधिकारी लखनऊ ने शिक्षकों का वेतन जारी करने का आदेश दिया है। शिक्षक शिक्षामित्र अनुदेशक कर्मचारी संयुक्त मोर्चा ने वेतन जारी किए जाने का आदेश जारी करने पर संतोष जताया है। वहीं महाराजगंज के नौतनवा ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय तड़हवा में तैनात एक सहायक अध्यापक को बर्खास्त कर दिया गया है। ज्ञात हो कि प्रदेश के कई जिलों में अपार आईडी की प्रक्रिया लंबित होने के कारण जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने शिक्षकों के जनवरी माह के वेतन पर रोक लगा दी थी। जिसको लेकर प्रदेश के कई जिलों में शिक्षकों में नाराजगी का माहौल है। बोर्ड परीक्षा की तैयारी और शिक्षकों की नाराजगी को देखते हुए लखनऊ के बेसिक शिक्षा अधिकारी ने शिक्षकों के वेतन रोकने के आदेश को फिलहाल स्थगित कर दिया है। मोर्चे के जनपदीय संयोजक वीरेंद्र प्रताप सिंह (प्राथमिक शिक्षक संघ), विनीत कुमार सिंह (विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वे. एसो.), डॉ. प्रभाकांत मिश्रा (जूनियर शिक्षक संघ) और पदाधिकारियों ने 4 फरवरी को ज्ञापन सौंपकर वेतन रोके जाने का विरोध दर्ज कराया था। दूसरी तरफ शिक्षक वेतन जारी नहीं किए जाने को लेकर आंदोलन की रणनीति बनाना भी शुरू कर चुके थे। बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा 6 फरवरी को जारी आदेश में वेतन निर्गत करने का आदेश दिया है। मोर्चे की सह संयोजक शालिनी मिश्रा, सुधीर सहगल, शशि प्रभा सिंह, हरि शंकर राठौर, मनोज मौर्य, बृजेश कुमार मौर्य, मोहम्मद रियाज ने कहा कि प्राथमिक शिक्षकों को प्रतिकर अवकाश न देय होने की स्थिति में अवकाश के दिनों में विद्यालय ना खुलवाए जाएं, यह शिक्षकों के साथ अन्याय है। संगठन के पदाधिकारी अवधेश कुमार, सुशील कुमार, अरुण कुमार, शशांक, सुमित पाल, अश्विनी गुर्जर, सुधीर शुक्ला आदि ने वेतन आदेश निर्गत होने पर प्रसन्नता व्यक्त की।
11 को प्रदर्शन की बन रही थी रणनीति—
शिक्षकों को वेतन नहीं दिए जाने के विरोध में उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक 11 फरवरी को विरोध प्रदर्शन की रणनीति बना रहा था। जिला संगठन की बैठक में सुधांशु मोहन ने कहा कि यदि 10 फरवरी से पहले वेतन नहीं दिया जाता तो आरपार की लड़ाई शुरू की जाएगी।
महराजगंज में शिक्षक बर्खास्त—
जिले के नौतनवा ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय तड़हवा में तैनात एक सहायक अध्यापक सूरज कुमार उपाध्याय को बर्खास्त कर दिया गया है। बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) प्रदीप कुमार शर्मा ने मामले की पुष्टि करते हुए बताया कि शिक्षक ने अन्य व्यक्ति के शैक्षिक दस्तावेजों का उपयोग कर नौकरी प्राप्त की थी।
शिकायत के बाद खुला फर्जीवाड़ा—
साल 2022 में बीएसए कार्यालय में किसी ने शिकायत दर्ज कराई थी कि सूरज कुमार उपाध्याय फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर नौकरी कर रहे हैं। शिकायत की गंभीरता को देखते हुए बीएसए ने इसकी जांच खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) निचलौल से करवाई। जांच के दौरान आरोपित शिक्षक को स्पष्टीकरण देने के लिए 15 दिन का समय दिया गया लेकिन वह बिना कोई जवाब दिए विद्यालय से फरार हो गया।
गलत पते पर नौकरी करने का पर्दाफाश—
जब जांच अधिकारियों ने शिक्षक के स्थायी पते पर नोटिस भेजा तो पता चला कि सेवा पुस्तिका में दर्ज पता भी फर्जी था। इसके बाद दो प्रमुख समाचार पत्रों में नोटिस जारी कर 15 दिन के अंदर जवाब देने का अंतिम अवसर दिया गया लेकिन आरोपी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
दूसरे शिक्षक के दस्तावेजों से ली थी नौकरी—
जांच के दौरान खुलासा हुआ कि आरोपित शिक्षक ने घुघली क्षेत्र के एक अन्य शिक्षक सूरज कुमार उपाध्याय के शैक्षिक दस्तावेजों का इस्तेमाल कर नौकरी हासिल की थी। इसके बाद बीएसए ने इस फर्जी नियुक्ति को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया। बीएसए प्रदीप कुमार शर्मा ने बताया कि जिले में फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर नौकरी करने वाले अन्य शिक्षकों की भी जांच की जा रही है और ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई की जाएगी।