क्राइम न्यूज़

आखिर हार गया अतुल जीत गया न्यायिक सिस्टम

◾नाम: अतुल सुभाष।
◾उम्र: 34 वर्ष।
◾2019 में शादी हुई।
◾शादी के 5 साल में ही पत्नी, ससुराल, पक्षपाती कानून व्यवस्था ने उसे आत्महत्या के लिए मजबूर कर दिया।
◾1.5 घंटे का सुसाइड वीडियो, 40 पेज का डेथ नोट छोड़ा।
◾पत्नी ने 3 करोड़ का गुजारा भत्ता मांगा।
◾पत्नी ने उसे अपने बच्चे का चेहरा भी नहीं देखने दिया।
◾जौनपुर फैमिली कोर्ट की जज रीता कौशिक ने केस निपटाने के लिए 5 लाख मांगे।
◾उसने अपनी पत्नी को उसके परिवार की मदद के लिए लाखों दिए लेकिन फिर उस पर दहेज का आरोप लगा।
◾उसकी पत्नी के पिता की शादी के तुरंत बाद बीमारी से मौत हो गई, लेकिन उसकी पत्नी ने उसके परिवार पर हत्या की धाराओं के तहत FIR दर्ज करवा दी। जिसमें दावा किया गया कि “दहेज” की मांग के कारण उनके पिता की सदमे से मौत हो गई।
◾अतुल को पिछले 2 साल में 120 बार पेशी पर जाना पड़ा।
◾फैमिली कोर्ट के जज ने 2 साल की बेटी के लिए 40,000 प्रति माह भरण-पोषण का आदेश पारित किया क्योंकि उसने रिश्वत नहीं दी।
◾अतुल घर के काम करता था। अपनी पत्नी को Accenture में नौकरी दिलवाई। अपने साले की आर्थिक मदद की। अपने बच्चे के जन्म पर लाखों खर्च किए।

ये आत्महत्या नहीं बल्कि हत्या है। जो कि इस सिस्टम ने की है।उन पर तो कत्ल का इल्ज़ाम भी नहीं। लेकिन उनके उत्पीड़न भरे न्यायिक आदेशों की पालना में अतुल सुभाष ने आत्महत्या कर ली। भारत की न्यायिक व्यवस्था सड़ गल रही है। दुर्गंध से युक्त है। सब इसके पीड़ित हैं। कुछ एक को छोड़कर जिन्हें इंसाफ की जगह जज साहब ने कुछ और थमा दिया। अतुल को आत्महत्या के लिए बेबस किया गया। वो मरने को मजबूर किया गया। क्योंकि उनकी आंखों में सिक्कों की खनक और अमीन जायदाद पर अपना कब्जा चाहिए था। जब तक जिंदा हो अपने ही मरने का इंतजाम भी करते रहे मेंटिनेंस के नाम पर। विवश होकर लिखना पड़ रहा की भारतीय कानून ऐसे मामलों स्पष्टता के साथ न्याय दिलाने में सक्षम नहीं है। हम यह नहीं कहते की महिलाओं को प्राथमिकता ना दें लेकिन कम से कम न्यायिक व्यवस्था को सही गलत चयन करने का क्षमता तो होना चाहिए। मध्यस्थता के नाम पर दलाली होती है। रेट लगते हैं। जो ऊंचे मनोबल के है वो ठीक है। जो कमजोर है उनके लिए मौत बाहर बाहें फैलाए खड़ी है। समाज समग्रता से सोचे और इसका मुक्कमल हल निकाले वरना अतुल मरते रहेंगे और रीता वशिष्ठ जैसे जज वही करती रहेंगी जो अब तक करती आई है। किसी ने क्या बिगाड़ लिया उनका।।

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